जज पेन की निब क्यों तोड़ता है – Why Does The Judge Break The Nib Of The Pen? 

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है हमारे देश का कानून कहता है की सौ गुनहगार बच जाए पर एक निर्दोष को फांसी न हो इतिहास में भारत में अगर सबसे बड़ी कोई सजा है तो वह है फांसी की सजा आपने कई बार मुजरिम को मूवीज में फांसी के फंदे पर लटकते हुए देखा होगा क्या अपने यह बात देखी है

की फांसी के फंदे पर अक्सर मुजरिम को सूरज निकलने से पहले लटकाया जाता है यह क्यों फांसी के समय पर कुछ ही लो वहां पर मौजूद होते है क्यों जज सजा सुनाने के बाद पेन की निब तोड़ देता है तो आज की इस पोस्ट पर मैं फांसी से जुड़ी हुई कुछ ऐसी ही खास बाते बताने वाला हूं चलिए शुरू करते है पिछली पोस्ट मानहानि पर कानून

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

जेल प्रशासन के लिए सबसे बड़ा काम है फांसी देना इसलिए इसको सुबह ही निपटा दिया जाता है ताकि फिर इसकी वजह से दूसरे काम प्रभावित न हो जिसको फांसी की सजा सुनाई जाती है जरा सोचिए उसके लिए सजा सुनाने से लेके फांसी के दिन तक का समय कितना कठिन होता होगा तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए फांसी सुबह के समय दी जाती है

सुबह कैदी को फांसी क्यों दी जाती है?

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है
जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

एक कारण यह भी है कि कैदी के घर वालो को इतना समय मिल जाए कि वह अंतिम संस्कार की तैयारियां कर ले किसी की फांसी होना समाज के लिए एक बहुत बड़ी खबर है मीडिया और समाज सुबह के समय इतने एक्टिव नही होते इसलिए मुजरिम को सुबह के समय फांसी की सजा दी जाती है फांसी देने का काम केवल कुछ लोगो की मौजूदगी में ही किया जाता है जिसमें एक भी कैदी के परिवार वाला नही होता

फांसी देते समय कौन कौन मौजूद रहते?

फांसी देते वक्त जेल अध्यक्ष एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या उनका भेजा हुआ कोई और इंसान, कैदी की जांच करने वाला एक डॉक्टर और जल्लाद मौजूद रहते है इसके अलावा कुछ पुलिस वालो की मौजूदगी में फांसी दी जाती है इनके बिना फांसी नही दी जा सकती

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है
जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

फांसी के फंदे पर मुजरिम को लटकाने से पहले ही जब उसको फांसी की सजा सुनाई जाती है मुजरिम खुद के लिए तभी मर जाता है तो इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि उसको कितनी देर लटकाया जायेगा फांसी के फंदे पर मुजरिम को लटकाने का समय तो सूरज से पहले है पर कितनी देर लटकाया जायेगा इसका कोई निर्धारित समय नही है

लेकिन डॉक्टर 10 मिनट होने के बाद नजदीक जाकर जांच करते है उसके बाद ही लाश को फांसी के फंदे से उतारा जाता है

जल्लाद कैदी के कान में क्या बोलता है?

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है
जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

जल्लाद का काम केवल फांसी को अंजाम देना हीं नहीं बल्कि खुद के लिए माफी मांगना भी होता है इसलिए ऐसा बोलकर जल्लाद फांसी देता है कि मुझे माफ कर दो हिंदू भाइयों को राम राम , मुसलमानो को सलाम हम क्या कर सकते है हम तो हुक्म के गुलाम है इन शब्दों को बोलते वक्त जल्लाद फिर कैदी को फांसी देता है जरा सोचिए कितना मुश्किल होता होगाज ल्लाद के लिए ऐसा करना आसान नहीं है कि मुजरिम की हर आखिरी ख्वाइश में कुछ भी मांग सकता है इसके लिए भी जेल प्रशासन के खास नियम है

मुजरिम की आखिरी इच्छा क्या हो सकती है?

कैदी अपने परिजनों से मिलने, कोई खास डिश खाने के लिए या फिर कोई धर्मग्रथ पढ़ने की इच्छा करता है अगर ये इच्छाएं जेल प्रशासन के मैनुअल में है तभी वह पूरी की जाती है वरना वह पूरी नहीं की जाती है

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है
जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

अक्सर आपने फिल्मों मे देखे होंगे कि जज अपराधी को मौत की सजा सुनाते है और लिखते लिखते अचानक पेन की निब को तोड़ देते है क्या आप जानते है इसके पीछे क्या राज या वजह है यह आपको नही पता यह सवाल आपके मन मे आया भी होगा की

आखिर मौत पर दस्तखत करने के बाद जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

तो चलिए इस सवाल का जवाब भी मै आज बताए देता हूं आपको हमारे कानून में फांसी की सजा सबसे बड़ी सजा है क्योंकि इससे व्यक्तिगत जीवन समाप्त हो जाता है इसलिए जज सजा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब को तोड़ देता है और उम्मीद की जाती है कि आगे से ऐसे जघन्य अपराध न किए जाय और साथ ही साथ इसका यह मतलब भी होता है

जज पेन की निब क्यों तोड़ता है
जज पेन की निब क्यों तोड़ता है

एक व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त हो रही है इसलिए जज इस सजा को मुकर्रर करने के बाद पेन की निब तोड़ देते है ताकि उस पेन का इस्तेमाल दोबारा न किया जा सके

सैद्धांतिक तौर पर डेथ सेंटर किसी भी जघन्य अपराध के मुकदमों के लिए समझौते का अंतिम एक्शन होता है जिसे किसी भी दूसरे प्रोसेस के द्वारा बदला नहीं जा सकता जब फैसले से पेन से death लिख दिया जाता है तो उसी क्रम में पेन की निब को भी तोड़ दिया जाता है ताकि इंसान के साथ साथ पेन की जिंदगी भी खत्म हो जाए अक्सर यह माना जाता है की

पेन की निब तोड़ने पर लोगो की मान्यताएं

जज फैसले से अपने को अलग रखते है जो फैसला सुनाया है उसका प्रायश्चित या अपराध लगा आदि को मानते हुए पेन की निब को तोड़ देते है और आपको जानकारी के लिए बता दे कि जज स्वयं एक बार फैसला लिख दिए जाने पर उनको खुद अधिकार नहीं होता की अपना जजमेंट बदल सके या इस पर विचार विमर्श कर सके इसलिए भी पेन की निब तोड़ देते है

तो दोस्तो आज के जज पेन की निब क्यों तोड़ता है इस पोस्ट पर आपने फांसी से जुड़ी हुई कुछ चीजे जानी है अगर आपको यह जानकारी जज पेन की निब क्यों तोड़ता है अच्छी लगी है तो आप इस जानकारी को अपने मित्रो तक साझा करे और कोई प्रश्न पूछने हो तो आप नीचे कॉमेंट कर सकते है।

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