पति या पत्नी के छोड़कर चले जाने पर क्या करे – When The Wife Leaves

When The Wife Leaves तलाक़ के मामले पर ज्यादातर एक पक्ष ही तलाक पर जोर देता है और दूसरा पक्ष यह चाहता है कि शादी किसी भी तरह बनी रहे भले ही बच्चों की परवरिश के लिए क्यों न चाहे बहुत सारे मामले है हाल ही में एक महिला ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के तहत पति के साथ रहने में सफलता भी पाई है

When The Wife Leaves

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हेलो एंड वेलकम दोस्तो मै आज के इस पोस्ट पर मै आपको बताने वाला हू कि अगर पति या पत्नी दोनो में से कोई एक दूसरे से अलग रहता है साथ नही रहता है तो दूसरा पक्ष वैवाहिक संबंधों की की बहाली के लिए यानि पति या पत्नी को साथ रखने के लिए कोर्ट में कौन से सेक्शन के तहत केस फाइल कर सकता है तो चलिए शुरू करते है

पति या पत्नी के छोड़कर चले जाने पर When The Wife Leaves

हाल ही मे एक मामला अदालत के सामने आया जिसमे एक लड़का दो साल की शादी के बाद अपनी पत्नी से तलाक लेना चाहता था दोनो का 6 माह का एक बेटा है पति ने तलाक के लिए आवेदन दे दिया लेकिन पत्नी चाहती थी बच्चे के बड़े होने तक पिता से दूर न रखा जाए साथ ही पत्नी शादी को बनाए रखना चाहती है

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और वह केवल आर्थिक परेशानी के कारण नहीं बल्कि वह चाहती है बच्चे को पिता का पूरा प्यार मिल सके बच्चे को पूरा समय मिल सके और बच्चा भावनात्मक रूप से पिता से अलग न हो सके यह बच्चे का अधिकार तो है ही लेकिन साथ ही हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत वैवाहिक अधिकारों की बहाली भी है

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में विवाह अधिकारो की बहाली

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इन दिनों तलाक के बारे में अखबारों में काफी कुछ पढ़ने को मिल रहा है कई लोग वर्षो के वैवाहिक जीवन के बाद तलाक ले रहे है तो ऐसा लगता है की सारा का सारा बंधन पैसे के लिए कर रखा था विवाह दो पक्षों का मेल है यह सही है लेकिन इसमें एक अधिकार की बात नही की जाती और वो है वैवाहिक अधिकारों की बहाली हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में विवाह अधिकारो की बहाली का जिक्र धारा 9 में किया गया है

यह शादी को बचाने के लिए रहता है और यह अधिकार निश्चित रूप से पति या पत्नी दोनो के बीच में रहता है वैवाहिक अधिकारों की बहाली को आप ऐसे समझ सकते है कि अगर पति या पत्नी में से दोनो बिना किसी कारण के एक दूसरे से अलग रहते है या दोनो में से कोई एक दूसरे को छोड़कर चला जाता है तो छोड़कर चले जाने वाले के खिलाफ वैवाहिक संबंधों की वापसी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है

मुकदमा चलते वक्त भी देना होगा भरण पोषण

इस मुकदमे में भी छोड़कर चले जाने वाले से भरण पोषण का अधिकार मुकदमा चलते वक्त भी और बाद में भी है यानि पति हो या पत्नी दोनो को ही वैवाहिक अधिकारी की बहाली का अधिकार रहता है यह कानूनी अधिकार है और अदालत इसमें डिग्री दे सकती है

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वैवाहिक संबंधों की बहाली में केवल भौतिक जरूरतों की पूर्ति नहीं आती बल्कि इसमें बहुत सारे महत्वपूर्ण पहलू है बहुत सारी चीजे इसमें आती है पति और पत्नी के बीच कुछ अधिकार और कर्तव्य है जो सिर्फ विवाह से पूरे होते है यह अधिकार और कर्तव्य वैवाहिक अधिकारो के अंतर्गत आते है

वैवाहिक अधिकारो की बहाली को एक तरह से वैवाहिक मामलो का उपचार भी कहा जाता है यह साथ में रहने और भावनात्मक लगाव पर आधारित है फिर भी अदालत में वैवाहिक अधिकारो की बहाली के लिए कुछ बातो की अनिवार्यता लगाई गई है

1. छोड़कर जाना या पति या पत्नी में से किसी एक का अलग रहना

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अगर पति या पत्नी में से कोई एक अलग रहता है या छोड़कर चला जाता है तभी दूसरा पक्ष ही हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के अंतर्गत कोर्ट में केस फाइल कर सकता है साथ रहने के लिए लेकिन अगर पति या पत्नी में से कोई एक छोड़कर नही गया तो फिर धारा 9 के तहत केस फाइल नहीं किया जा सकता है।

2. छोड़कर जाने का कोई ठोस कारण न हो

अगर पति या पत्नी में से कोई एक छोड़कर चला जाए और उनके पास साथ रहने का कोई ठोस कारण न बन रहा हो तभी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत कोर्ट में केस फाइल किया जा सकता है लेकिन पति या पत्नी में से कोई एक अपने दूसरे साथी से अलग रह रहा हो और उसके पास अलग रहने का एक ठोस कारण है तो फिर दूसरा पक्ष हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत वैवाहिक संबंधों की बहाली के किए कोर्ट में केस फाइल नहीं कर सकता है

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सुप्रीम कोर्ट ने सरोज रानी vs सुदर्शन कुमार चड्ढा के मामले में पत्नी की याचिका पर वैवाहिक अधिकारो की बहाली की थी पत्नी ने पति को घर से बाहर निकाल दिया था ऐसे में निचली कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में डिग्री दी थी लेकिन पति उसे अमल में नही लाया ऐसे में धारा 9 पर संवैधानिक वेत्ता पर सवाल उठ गया और यह कहा जाने लगा कि क्या यह अनुच्छेद 14 या 21 का violations तो नही है

आखिर में धारा 9 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने इस डिग्री को लागू कराया justice मुखर्जी ने कहा की हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 किसी भी तरह से आर्टिकल 14 व 21 का violations नही करती है एक तरह से यह सामाजिक पक्ष को हल कर रहा ताकि शादियों को टूटने से रोका जा सके section 9 का कानूनी और सामाजिक पक्ष यह भी है कि किसी भी तरह से दोनो पक्षों को अलग होने से बचाया जा सके

वैवाहिक अधिकारो में प्रेम और भावनात्मक लगाव एक अहम पक्ष है और यह धारा उसे पूर्ण करने मे काफी मदद करती है इस तरह से धारा 9 constitution के आर्टिकल 14 या 21 का violations नही करती है कोई भी हिंदू पत्नी जिसका परित्याग कर दिया गया है उसको छोड़ दिया गया हो

कानूनी तौर पर इन अधिकारो की हकदार है जिन्हे वह चाहे लागू करने की मांग कर सकती है

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1. अगर पत्नी को लगता है कि उसका पति या परिवार वालो की ओर से उसका मानसिक उत्पीड़न हुआ है तो वह उन पर मुकदमा कर सकती है सामाजिक स्थितियों के मुताबिक पत्नी का परित्याग करना, पत्नी को छोड़ना कानून की नजर में बड़ा मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न माना जा सकता है

2. हिंदू विवाह कानून 1955 की धारा 9 वैवाहिक संबंधों की बहाली का प्रावधान करती है यह धारा किसी पति पत्नी को एक दूसरे के साथ रहने का अधिकार देती है अगर तलाक न हुआ हो इस धारा के तहत वह महिला पति के साथ रहने की मांग कर सकती है

तो दोस्तों आज की इस When The Wife Leaves पोस्ट पर अपने जाना की हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 9 क्या है और अगर किसी का पति या पत्नी उसे छोड़कर चला जाता है तो वह कौन सी धारा के तहत कोर्ट में साथ रहने के लिए की फाइल कर सकता है

तो मेरी सारी बात का निचोड़ यह है कि अगर किसी का पति या पत्नी उसे छोड़कर चला जाता है तो दूसरा पक्ष कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत केस फाइल कर सकता है साथ रहने के लिए इसी तरह से कोई छोड़कर चला जाता है तो उससे भरण पोषण की मांग भी की जा सकती है केस के चलते वक्त भी मांग कर सकती है और केस खत्म होने के बाद भी मांग कर सकती है

तो उम्मीद है दोस्तो आपको यह When The Wife Leaves जानकारी अच्छी लगी होगी और इससे जुड़े प्रश्न आपके क्लियर हो गए होंगे अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल है तो आप नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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