पत्नी के ससुराल में कानूनी अधिकार जानिए – Law Rights In Wife’s In-laws 

ससुराल में कानूनी अधिकार हेलो दोस्तो आज के इस पोस्ट पर में आपको बताने वाला हूं की ससुराल में एक पत्नी के क्या क्या कानूनी अधिकार है तो चलिए शुरू करते है जानना

अबॉर्शन के लिए महिला की सहमति अनिवार्य है किसी भी स्थिति मे महिला की सहमति लिए बिना उसका अबॉर्शन कराया नही जा सकता है

ससुराल में कानूनी अधिकार

ससुराल में कानूनी अधिकार

जबरदस्ती अबॉर्शन कराए जाने के मामले से निपटने के लिए सख्त कानून बनाए गए है अबॉर्शन तभी कराया जा सकता है जब गर्भ की वजह से महिला की जिंदगी खतरे में हो 1971 में इसके लिए एक अलग कानून बनाया गया था

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट इस एक्ट के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर गर्भ के कारण महिला की जान खतरे में हो या फिर वह मानसिक या शारीरिक रूप से गंभीर परेशानी पैदा करने वाली हो या गर्भ में पल रहा बच्चा विकलांगता का शिकार हो तो अबॉर्शन कराया जा सकता है

ससुराल में कानूनी अधिकार

इसके अलावा महिला मानसिक और शारीरिक तौर पर इसके लिए सक्षम न हो तो भी अबॉर्शन कराया जा सकता है अगर महिला के साथ बलात्कार हुआ हो और वह गर्भवती हो गई हो या फिर महिला के साथ ऐसे रिश्तेदार ने संबंध बनाए हो जो वर्जित संबंध में हो

जैसे की भाई के साथ ,पिता के साथ और ससुर ने उस महिला को गर्भवती किया हो तो इस स्थिति को देखते हुए अबॉर्शन कराया जा सकता है

वही बात यदि महिला की अनुमति नहीं ली जाती है अबॉर्शन कराने के लिए तो दोषी पाए जाने पर उम्र कैद की सजा मिल सकती है

दहेज निरोधक कानून

दहेज प्रताड़ना और ससुराल मे महिलाओं पर अत्याचार के दूसरे मामलो से निपटने के लिए कानून में सख्त प्रावधान किए गए है जिससे महिलाएं अपने ससुराल में सुरक्षित और सुंदर वातावरण मिले इसका ध्यान कानून मे रखा गया है और इसके पुख्ता प्रबंध भी किया गया है दहेज की प्रताड़ना से बचाव हेतु 1986 में धारा 498a निर्धारित किया गया इसको अन्य नाम दहेज निरोधक कानून रूप में जाना जाता है

ससुराल में कानूनी अधिकार
ससुराल में कानूनी अधिकार

महिला को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता है , शारीरिक तौर पर भी प्रताड़ित किया जाता है या अन्य तरीक़े से प्रताड़ित किया जाता है रहा तो महिला इस पर शिकायत करके इस धारा के तहत उन पर केस दर्ज करा सकती है इसे संगेय अपराध की श्रेणी मे रखा गया है साथ ही यह एक गैर जमानती अपराध है

वह सभी आरोपी है जिन्होंने ने ससुराल मे दहेज को लेकर महिला को पीड़ित किया है प्रताड़ित किया है

सजा

इस मामले में दोषी पाए जाने पर ज्यादा से ज्यादा 3 साल तक कैद का प्रावधान है वही शादीशुदा महिला की मौत संदिग्ध परिस्थितियो मे होती है

और उसकी मौत विवाह के 7 साल के भीतर ही होती है तो पुलिस आईपीसी की धारा 304 (B) के अनुसार मामला दर्ज करके कार्यवाही कर सकती है

1961 में बना दहेज निरोधक कानून रिफॉर्मेटिंग कानून है दहेज निरोधक कानून की धारा 8 कहती है दहेज लेना और देना संगेय अपराध है दहेज लेने देने के मामले में धारा 3 के तहत मामला दर्ज हो सकता है इस धारा के तहत जुर्म साबित होने पर कम से कम 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान है धारा 4 के मुताबिक दहेज की मांग करना एक जुर्म है और शादी से पहले अगर लड़का पक्ष दहेज की मांग करता हैं तब भी इस धारा के तहत केस दर्ज किया जा सकता है

स्त्रीधन पर महिला का अधिकार

स्त्रीधान वो धन है जो महिला को शादी के वक्त उपहार के तौर पर मिलते है इसमें मुंह दिखाई भी आती है कन्याधन भी आता है और भी काफी सारी चीजे आती है इन पर लड़की का पुरा हक माना जाता है इसके अलावा वर वधु को कॉमन यूज की तमाम चीजें दी जाती है यह भी स्त्री धन के दायरे मे आती है स्त्री धन पर लड़की का पूर्ण अधिकार है

ससुराल में कानूनी अधिकार
ससुराल में कानूनी अधिकार

यदि ससुराल वालो ने महिला का स्त्री धन अपने पास रख लिया है और नही देते है तो ऐसी स्थिति मे महिला आईपीसी धारा 406 के तहत मामला दर्ज करा सकती है यह अमानत में खयानत शिकायत के रूप में दर्ज होगा बाद में कोर्ट के आदेश होने पर महिला को स्त्री धन वापस मिल जाता है

तो दोस्तो यह ससुराल में कानूनी अधिकार आज की इस पोस्ट पर महिलाओ के ससुराल पर कुछ कानूनी अधिकार बताए है अगर आपको ससुराल में कानूनी अधिकार यह जानकारी अच्छी लगी हो और आप इससे जुड़े कुछ सवाल पूछना चाहते है तो नीचे आप कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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